Farida

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कुछ तो कर, यूँ ही मत मर

कुछ तो कर, यूँ ही मत मर 

 
 एक संम्पन राज्य की सम्पदा से जलकर वहां के राजा के कई क्षत्रु हो गए थे| एक रात राजा के क्षत्रुओं ने महल के पहरेदारों को मिला लिया और राजा को बेहोंश कर अगवा कर लिया| इसके बाद राजा के क्षत्रुओं ने राजा को पहाड़ की एक गुफा में बंद कर दिया और एक बड़े से पत्थर से गुफा के मुह को ढक दिया|
राजा को जब होंश आया तो उस अँधेरी घुफा में अपनी दशा देखकर घबरा उठा| जब उस अँधेरी घुफा में उसे कुछ करते धरते ना बना तो उसे अपनी माता की कही एक बात यद् आ गई, “कुछ तो कर, यूँ ही मत मर”| माँ का दिया मंत्र याद आते ही राजा की निराशा दूर हो गई और उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर अपने हाथों की जंजीरों को तौड़ दिया| तभी अँधेरे में उसका पैर एक सांप पर पड गया और सांप ने उसे काट लिया| राजा फिर घबराया, किन्तु अगले ही पल उसे फिर अपनी माँ का दिया वह मंत्र याद आया, “कुछ तो कर, यूँ ही मत मर”| उसने तत्काल अपनी कमर से क़तर निकल दी और उस स्थान को चिर दिया जहाँ सांप ने काटा था| लेकिन खून की धार बह निकलने से वह फिर घबरा गया! लेकिन फिर उसने अपनी माँ के मंत्र से प्रेरणा पाकर अपनी कमर पर लपेटे वस्त्र से घाव पर पट्टी बांध दी, जिससे रक्त बहना बंद हो गया|

इतनी साडी मुश्किलें हल होने के बाद उसे इस अँधेरी घुफा से बाहर निकलने की चिंता सताने लगी| भूख, प्यास भी उसे व्याकुल कर रही थी| उस अँधेरी गुफा से निकलने का उसे जब कोई रास्ता ना दिखा तो वह फिर निराश हो उठा, लेकिन फिर अगले ही पल उसे अपनी माँ का दिया मंत्र याद आया, “कुछ तो कर, यूँ ही मत मर”| वह उठा और उसने अपनी पूरी ताकत से गुफा के मुह पर पड़े पत्थर को धकेलना शुरू कर दिया| बहुत बार प्रयास करने पर आख़िरकार पत्थर लुढ़क गया और राजा घुफा से निकलकर पुनः अपने महल में चला गया|

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